-> कुछ मोटिवेशनल लाइन
* जिस तरह कीड़ा कपड़ो को कुतर डालता है, उसी तरह ईर्स्या मनुष्य को।
* क्रोध मूर्खता से शुरू होता है और पश्च्ताप पर ख़त्म होता है।
* नम्रता से देवता भी मनुष्य के वश में हो जाते है।
* सम्पन्त्ता मित्रता बढाती है, विपदा उसकी परख करती है।
* एक बार निकले बोल वापस नहीं आ सकते,इसलिए सोच कर बोलो।
* तलवार की चोट उतनी तेज़ नहीं होती,जितनी जिव्हया की।
* धीरज के सामने भयंकर संकट भी धुएँ के बदलो की तरह उड़ जाते है।
* तीन सच्चे मित्र हैं - वृद्धा पत्नी , पुराना कुत्ता और पास का धन।
* मनुष्य के तीन सद्गुड़ हैं आशा, विशवास और दान।
* घर में मेल होना पृथ्वी पर स्वर्ग के समान हैं।
* मनुष्य की महत्ता उसके कपड़ो से नहीं बल्कि उसके आचरण से जानी जाती हैं।
* दुसरो के हित के लिए अपने सुख का भी त्याग करना सच्ची सेवा हैं।
* भूत से प्रेरणा लेकर वर्त्तमान में भविष्य का चिंतन करना चाहिय।
* जब तुम किसी की सेवा करो तब उसकी त्रुटियों को देखकर उससे घृणा नहीं करनी चाहिये।
* मनुष्य के रूप में परमात्मा सदा हमारे सामने हैं,उनकी सेवा करो।
* अँधा वह नहीं जिसकी आँखे नहीं ,अन्धा वह हैं जो अपने दोषो को ढकता हैं।
* चिंता से रूप ,बल और ज्ञान का नाश होता हैं।
* दूसरे को गिराने की कोशिश में तुम स्वयं गिर जाओगे।
* प्रेम मनुष्य को अपनी ओर खींचने वाला चुम्बक हैं।
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